मैंने खोया है !

मैंने खोया है !

मैंने खोया है।,
खो कर,
खुद को तुझ में पाया है। 

जिंदगी की मीठी रस में ,
प्रेम के रंग को घोल कर ,
विरह को भी गले लगाया है। 

जलाया है ,
विरह की इस अग्गन ने ,
आशाओं को मेरी जलाया है। 

दूर है ,
वो पल दरस का शयद् ,
किन्तु, लम्बी प्रतीक्षा का स्वाद भी तो मीठा होना है। 

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