चलो चलते है !

चलो चलते है !

चलो चलते है ,
हाँ चलो चलते है , उन वादियों में ,
रात का दिन से जहाँ कोई मेल न हो ,
दुखों का खुशयों से कोई बैर न हो ,
हाँ चलो चलते है उन  वादियों में की साथ न हो कोई। 
 
सीखनी प्यार की भाषा है ,
जो जुबां से न बोली जाये ,
पप्रेम हर कण है ,प्रेरणा में है ,प्रयास में है ,सफलता में है ,विफलता में है ,
जग को समझाए। 
 
तितलियों से उधर लेकर पंख , 
उड़ जाये। 
 
चलो चलते है ,
हाँ चलो चलते है उन वादियों में ,आकाश का मिलान जहाँ धरती से होए। 
 
 

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