जंग
यही मन जाता है , यही सच है ,
जंग इतिहास का कुपुत्र है।
जंग जिसका नेत्तृत्व सत्ता ने किया ,
मासूम चेहरों को खौनाक इरादों से सज्जित्त किया।
हाहाकार मची , घर उजड़े ,
चीखों से भरी उस गुफा में मौत का डेरा जड़ा।
न जाने कब वो जंग थमा ,
कुपुत्र को जंज़ीरों ने जकड़ा।
आज फिर वो ज़ंजीर पड़ी कमज़ोर ,
आज़ाद हुआ खौफ पुराणी जंग का ,
किया दुष्ट ने मानव मन को दूषित ,
और ,
इंसान ने अपनाया खेल खौफ का।