युवा बेरोजगारी और शिक्षा

युवा पीढ़ी

युवा उम्र की एक ऐसा पड़ाव होता है जहां जिज्ञासा अपने चरम सीमा पर होता है। ये उम्र सीखने की चाह के साथ साथ कुछ कर जाने का भी विश्वास ले कर आता है। उम्र की इस पड़ाव में युवाओं का चंचल होता है यही कारण है कि वे काफी हद तक सही और ग़लत की पहचान नहीं कर पाते। माना जाता है कि आने वाले कल में युवा पीढ़ी देश को नई दिशा प्रदान करेंगे, देश को एक नया आकार देंगे, युवा देश का भविष्य है। वे देश के सबसे विकासशील विचारों की धनी, वाली श्रेणी में आते। अपनी अद्भुत क्षमता और अविश्वनीय मानसिक सोच के बल पर राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सकते है।

इंसानी सभ्यता के शुरू से ही मानव जाती ने अपनी बुद्धि का सही प्रयोग कर इस दुनिया में एक नई पहचान बनाई है। हर पीढ़ी की अपनी एक सोच रही है जिसके कारण समाज आज तरक्की कि राह पर चल पड़ा है। इस परंपरा को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी अब युवाओं कि हाथ में है। लेकिन ऐसे कई कारण है जो युवाओं को अपनी राह से दिशाहीन करने में प्रबल हैं। कारण तो कई हैं पर शिक्षा में कमी और बेरोज़गारी उन कारणों में श्रेष्ठ है, क्योंकि ये युवाओं को अपराध के राह पर चलने के लिए मजबूर कर देते है।

युवा, शिक्षा और बेरोज़गारी

युवाओं के मध्य की सबसे बड़ी समस्या बेरोज़गारी है। पर इसमें भी किसका दोष है? शिक्षा इस संदर्भ में कहां तक ज़िम्मेदार है?

शिक्षा आज कि सदी में हर वर्ग के युवाओं के लिए पहली प्राथमिकता। साक्षरता नित्या ही वह पहला माध्यम बनता है जिससे बल पर ही युवाओं को रोज़गार मिलता है। रोज़गार जीवन की कुंजी बन गई, अगर रोज़गार ना हो तो युवा भीड़ में कहीं खो से जाते है। उनकी अपनी कोई पहचान नहीं होती है, जीवन की कोई साधन नहीं होता है। इस स्थिति में जब हताशा और निराशा हाथ लगती है तब खाली मन को अपराधिक प्रवर्तीयां घर कर लेती हैं और युवा दिशा भटक जाते है।

शिक्षा

शिक्षा जीवन की वह पहली कुंजी है जो ना सिर्फ युवाओं को बल्कि सभी को शिक्षित कर सोचने और आविष्कार करने की इच्छा को प्रबल बनती है।

शिक्षा पर हर एक मानव पर समान अधिकार है, हक है।

एक युवा और शिक्षा का संबंध ठीक उसी प्रकार है जैसे खेत में बोए बीज और बारिश के बूंदों का होता है। जिस प्रकार बारिश के पानी धरती पर पड़ कर, खेतों की सिंचाई कर फसल को लहलहा देती है ठीक उसी प्रकार शिक्षा युवाओं के मस्तिष्क की सिंचाई कर उन्हें एक ज़िम्मेदार और प्रबल बनती है।

शिक्षा की इन महतवाताओं के बाद भी इस क्षेत्र में तरक्की नहीं हो पा रही है, आखिर क्यों? क्यों अधिकांश युवा शिक्षा से आज भी वंचित रह गए है। इन सब के कारण कुछ इस प्रकार है :-

  • आबादी का दिन प्रतिदिन बढ़ना : भारत आबादी में दूसरे स्थान पर है। आंकड़ों की माने तो भारत में वयस्क साक्षरता में विकास की कम दर के संबंध में जनसंख्या वृद्धि की उच्च दर हुई है। ऐसे में अधिकतर लोग शिक्षा से वंचित रह जाते है।

  • बाल श्रम : छोटे बच्चों की सेवाओं का उपयोग करने में या तो कुछ अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए या घर पर अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल के लिए निम्न वर्ग का पारंपरिक दृष्टिकोण उनको शिक्षा से वंचित करा देते हैं।

  • ग़रीबी : आंकड़ों के हिसाब से भारत में 22 – 25% तक की आबादी गरीबी रेखा से नीचे अपना जीवन बिता रही है। उनको रात की खुराक के लिए दिन भर काम करना पड़ता है। साक्षरता की छेत्र में काफी गिरावट हो जाती है।

  • भ्रष्टाचार : शिक्षा की छेत्र में को जिस सरकारी धन का आना तय होता है वह पूर्ण रूप से पहुंच नहीं पाता। जिससे विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है और अच्छी शिक्षा उन्हें नहीं मिल पाता है।

आने वाले सालों में, बेरोजगार युवा पीढ़ी का क्या होगा?

चलो इसको एक युवा की दृष्टिकोण से देखते है। एक युवा सोच क्या चाहता है, आर्थिक रूप से स्वतंत्रता, अपने परिवार का सहारा बनना और देश एक प्रति अपना योगदान देना यही तो उनकी इच्छा है। पिछले साल 2019 में बेरोज़गारी बढ़ कर 10.55% हो गई थी। हालांकि, इसका स्थानीय स्तर पर सामुदायिक जीवन और सामुदायिक विकास पर बहुत हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इसलिए सरकार इस समस्या की जड़ से मिटाने के लिए लगता काम कर रही है क्योंकि बेरोज़गारी – गरीबी, को जन्म देती है जिससे देश को आर्थिक एवं सामाजिक मंदी से गुजरना पड़ता है।

युवाओं का रोज़गार देश के बेहतर भविष्य में मददगार।

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