नींद
रोज़ रात को आती है ,
बाहों में मुझे भींच कर ,
और सुबह चली जाती है।
हाँ वो नींद ही है ,
जो कल की थकावट को रौंद कर,
कल के गीले शिकवे को निचोड़ कर ,
आअज के लिए नयी उम्मीद को उकेरती है।,
नयी उमंगो को जन्म देती है।
हाँ वो नींद ही है ,
जो हमेशा दुत्कारती है।
रोज़ रात को आती है ,
बाहों मि मुझे भींच कर ,
और सुबह चली जाती है।
Love it…
Wow, nice one 👏